Last Updated:March 25, 2025, 12:01 ISTभारतीय शेयर बाजार में उछाल के बावजूद निवेशक सतर्क हैं. मार्च में कैश सेगमेंट का औसत दैनिक कारोबार 3% बढ़ा. हाई वैल्यूएशन और वैश्विक अनिश्चितताओं की वजह से अब तक चिंताएं दूर नहीं हुई हैं.हाइलाइट्सभारतीय शेयर बाजार में उछाल, निवेशक सतर्क.मार्च में कैश सेगमेंट का औसत कारोबार 3% बढ़ा.निवेशक RBI पॉलिसी और तिमाही नतीजों पर नजरें टिकाए.भारतीय शेयर बाजार में जबरदस्त उछाल तो आया, लेकिन निवेशक इस तेजी में भागीदार बनने से कतरा रहे हैं. गिरावट में जिनके हाथ जले, वे अब और रिस्क लेना नहीं चाहते. मार्च में कैश सेगमेंट के एवरेज डेली टर्नओवर की बात करें तो यह सिर्फ 3 फीसदी बढ़ा है, जबकि जून 2024 के टॉप से 40 फीसदी नीचे है. सेंसेक्स 4,000+ और निफ्टी 1,300+ अंकों की बढ़त के बावजूद निवेशक सतर्क हैं, क्योंकि वैल्यूएशन अब भी महंगा लग रहा है. ग्लोबल अनिश्चितताओं और अमेरिकी नीतियों से भी चिंता बढ़ी है. अब सबकी नजरें अप्रैल में RBI पॉलिसी और तिमाही नतीजों पर टिकी हैं. एफआईआई की बिकवाली कम जरूर हुई है, लेकिन बाजार की अगली बड़ी चाल अभी भी कई कारकों पर निर्भर करेगी.
मार्च 2025 में भारतीय शेयर बाजार में तेजी आई, लेकिन इसके बावजूद निवेशकों की भागीदारी कम रही. बीएसई और एनएसई के कैश सेगमेंट का औसत दैनिक कारोबार केवल 3 फीसदी बढ़कर लगभग ₹1 लाख करोड़ हुआ, जो जून 2024 के लेवल से 40% कम है. मार्च की शुरुआत से सेंसेक्स में 4,000 अंकों की बढ़त हुई, जिससे यह 78,000 के स्तर को पार कर गया. निफ्टी 50 में भी लगभग 1,300 अंकों की बढ़त दर्ज की गई, जिससे इसके 2025 के लिए सकारात्मक संकेत मिल रहे हैं. सेंसेक्स और निफ्टी 50 में क्रमशः 6.5% और 7% की वृद्धि हुई, जबकि बीएसई मिड और स्मॉलकैप इंडेक्स ने क्रमशः 9.8% और 11.1% की बढ़त दर्ज की.
क्या कहते हैं एक्सपर्टविशेषज्ञों का मानना है कि उच्च मूल्यांकन के कारण निवेशक सतर्क हैं और बाजार में फिर से गिरावट आ सकती है. कई निवेशक हाल की गिरावट से हुए नुकसान की वजह से नए निवेश करने में हिचकिचा रहे हैं. अब सबकी निगाहें भारतीय रिज़र्व बैंक की अप्रैल में होने वाली नीति घोषणा और चौथी तिमाही के वित्तीय परिणामों पर हैं, जो बाजार की दिशा तय करेंगे.
अबांस फाइनेंशियल सर्विसेज के वीपी रिस्क एवं हेड रिसर्च, मयंक मुंधरा (FRM) ने कहा कि वैश्विक अनिश्चितताओं ने सतर्कता की भावना को बढ़ाया है. अमेरिकी टैरिफ बढ़ोतरी और उसके महंगाई पैदा कर सकने वाले प्रभाव की आशंकाओं ने आर्थिक अस्थिरता का डर पैदा कर दिया है, जिससे वैश्विक बाजारों में उतार-चढ़ाव बढ़ गया है.
निवेशक अब भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की अप्रैल में होने वाली पॉलिसी की घोषणा का इंतजार कर रहे हैं, जिसमें ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद की जा रही है. आगामी Q4FY26 का रिजल्ट सीज़न भी बाजार के रुख के लिए एक बड़ा कारक हो सकता है, क्योंकि कंपनियों का प्रदर्शन बाजार की मनोदशा को प्रभावित करेगा.
FIIs की सेलिंग कम हुईकुछ बाजार विशेषज्ञों ने कहा कि वॉल्यूम में मामूली बढ़ोतरी विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) के सेलिंग प्रेशर में कमी की वजह से हुई है, हालांकि, वॉल्यूम में तेज उछाल की संभावना नहीं है. वित्तीय वर्ष के अंत के करीब आते ही कई बाजार सहभागी अपनी बुक्स बंद करने के लिए एक्टिविटी कम कर देते हैं, जिससे मार्च में पिछले महीने के मुकाबले वॉल्यूम फ्लैट रह सकता है.
चॉइस ब्रोकिंग के वाइस प्रेसिडेंट (टेक्निकल रिसर्च एंड एल्गो) के. कुणाल वी. परार ने कहा, “ब्रॉडर मार्केट अभी भी कंसोलिडेशन के दौर में है, और अगला निर्णायक कदम कॉर्पोरेट रिजल्ट्स, FII एक्टिविटी और टेक्निकल कन्फर्मेशन जैसे कारकों पर निर्भर करेगा.”
वैश्विक अनिश्चितताओं, जैसे अमेरिकी टैरिफ वृद्धि और मुद्रास्फीति के प्रभाव, ने भी निवेशकों की सतर्कता बढ़ाई है. वित्तीय वर्ष के अंत में, कई निवेशक अपनी बुक्स क्लोज करने के लिए गतिविधि कम कर देते हैं, जिससे मार्च में कारोबार स्थिर रहा. विशेषज्ञों का कहना है कि बाजार की अगली बड़ी चाल कॉर्पोरेट आय, विदेशी संस्थागत निवेशकों की गतिविधियों और तकनीकी संकेतकों पर निर्भर करेगी.
Location :New Delhi,New Delhi,DelhiFirst Published :March 25, 2025, 12:01 ISThomebusinessFIIs की सेलिंग कम हुई, शेयर बाजार भी उछल गया, लेकिन अभी तक सहमे हैं निवेशक
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