Kerala Government: कांग्रेस के सीनियर नेता शशि थरूर ने बुधवार (26 मार्च) को केरल की वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि वामपंथी दल एक दिन 21वीं सदी में प्रवेश करेंगे, लेकिन ये 22वीं सदी में ही हो सकता है. उनका ये बयान उस समय आया जब केरल विधानसभा ने मंगलवार (25 मार्च) को केरल राज्य निजी विश्वविद्यालय (स्थापना और विनियमन) विधेयक 2025 को ध्वनि मत से पारित किया. ये विधेयक राज्य में प्राइवेट यूनिवर्सिटी की स्थापना की अनुमति देता है जो राज्य की शिक्षा नीति में एक अहम बदलाव है.
केरल की माकपा सरकार लंबे समय से शिक्षा के निजीकरण का विरोध करती रही है. इस दृष्टिकोण के विपरीत अब राज्य सरकार ने प्राइवेट यूनिवर्सिटी की स्थापना को मंजूरी दी है. इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए थरूर ने कहा कि एलडीएफ सरकार ने आखिरकार एक सही कदम उठाया है, लेकिन ये फैसला काफी देरी से लिया गया है. थरूर ने मजाकिया अंदाज में ये भी कहा कि यह फैसला 15-20 साल देरी से लिया गया है और यह आमतौर पर वामपंथी विचारधारा से जुड़े नेताओं के साथ ही होता है. उन्होंने ये भी याद दिलाया कि जब भारत में पहली बार कंप्यूटर आए थे तो वामपंथी नेता उन पर आपत्ति जताते थे और सार्वजनिक ऑफिसों में उन उपकरणों को तोड़ने की कोशिश कर रहे थे.
शशि थरूर ने वामपंथी दलों की पुरानी सोच पर उठाए सवाल
शशि थरूर ने अपनी टिप्पणी में वामपंथी दलों की पुरानी सोच की आलोचना की और कहा कि भारत में केवल वामपंथी दलों ने मोबाइल टेलीफोन की शुरुआत पर आपत्ति जताई थी. उनके अनुसार इस तरह के बदलावों से आम आदमी को फायदा होता है और वामपंथी दलों को इसे समझने में वर्षों लग गए थे. थरूर ने कहा ‘मुझे यकीन है कि वामपंथी दल एक दिन 21वीं सदी में प्रवेश करेंगे, लेकिन ये 22वीं सदी में ही हो सकता है.’
इस विधेयक को लेकर विपक्षी नेता वी डी सतीशन ने कहा कि संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (यूडीएफ) सैद्धांतिक रूप से इसका विरोध नहीं कर रहा है, लेकिन उन्होंने सरकार से इसे लागू करने से पहले गहन अध्ययन और पड़ताल करने का आग्रह किया. सतीशन ने कहा कि राज्य में दशकों से काम कर रही विश्वसनीय कॉर्पोरेट शिक्षा एजेंसियों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए ताकि निजी विश्वविद्यालयों की स्थापना से शिक्षा की गुणवत्ता पर कोई समझौता न हो.
छात्रों को मिलेंगे बेहतर शिक्षा के अवसर
केरल सरकार की ओर से ये फैसला राज्य में हायर एजुकेशन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लिया गया है. इस कदम से राज्य में उच्च शिक्षा के अवसरों का विस्तार होगा और छात्रों को बेहतर एजुकेशन हासिल करने के अवसर मिलेंगे. हालांकि विपक्षी नेताओं ने इस कदम को सतर्कता से लागू करने की जरूरत की ओर इशारा किया है ताकि इसके परिणामस्वरूप कोई नेगेटिव प्रभाव न पड़े.
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