Chaitra Navratri 2025: नवरात्रि के दौरान कौन से रुद्राक्ष और रत्न धारण करें?

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Chaitra Navratri 2025: चैत्र नवरात्रि का त्योहार पूरे भारत में धूमधाम से मनाया जाती है. मान्यता है कि नवरात्रि में 9 दिनों तक मां दुर्गा का वास पृथ्वी पर होता है. साथ ही इसी दिन से हिंदू नववर्ष की शुरुआत भी होती है. वर्ष 2025 में चैत्र नवरात्रि 30 मार्च रविवार से 7 अप्रैल, सोमवार तक मनाई जाएगी. चैत्र नवरात्रि में रुद्राक्ष धारण करना बेहद शुभ माना जाता है. इस दौरान रुद्राक्ष पहनने से आध्यात्मिक शक्ति बढ़ती है और जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं.

रुद्राक्ष का महत्व: भारतीय संस्कृति में रुद्राक्ष को बहुत पवित्र और शुभ माना गया है. इसे भगवान शिव का आशीर्वाद माना जाता है. रुद्राक्ष पहनने से व्यक्ति पर शिव की कृपा बनी रहती है और वह नकारात्मक शक्तियों से बचा रहता है. यह एक विशेष ऊर्जा उत्पन्न करता है, जो धारण करने वाले के चारों ओर सुरक्षा कवच बना देता है. इससे बुरी शक्तियां असर नहीं कर पातीं और व्यक्ति सकारात्मक ऊर्जा से भर जाता है.  

धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व: नौ मुखी रुद्राक्ष बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. यह मां दुर्गा की नौ शक्तियों का प्रतीक है. इसे पहनने से मां दुर्गा, ऋषि कपिल और भगवान भैरव का आशीर्वाद प्राप्त होता है. यह नाग देवता से भी जुड़ा हुआ है, इसलिए जो लोग नाग देवता की पूजा करते हैं, उनके लिए यह बहुत शुभ होता है.  

 स्वास्थ्य लाभ और मानसिक शांति : नौ मुखी रुद्राक्ष पहनने से आत्मविश्वास बढ़ता है और व्यक्ति में साहस तथा सकारात्मक ऊर्जा आती है. यह मानसिक तनाव, डर, अवसाद (डिप्रेशन), ओसीडी और भ्रम जैसी समस्याओं को दूर करने में मदद करता है. खासकर कामकाजी महिलाओं के लिए यह बहुत लाभदायक होता है क्योंकि यह मानसिक शांति और स्थिरता प्रदान करता है.  

 नौ मुखी रुद्राक्ष के स्वास्थ्य लाभ :

  • रक्तचाप (ब्लड प्रेशर) को नियंत्रित रखता है.  
  •  थायरॉयड को संतुलित करता है.  
  •  आंखों की रोशनी को तेज करता है और नेत्र रोगों में लाभकारी है.  
  •  मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र को मजबूत बनाता है.  
  •  त्वचा संबंधी समस्याओं को दूर करता है.  
  •  सांप के काटने से रक्षा करता है.  
  •  मधुमेह (डायबिटीज) को नियंत्रित करने में सहायक है.  

 ज्योतिषीय दृष्टिकोण: केतु ग्रह का प्रभाव 
नौ मुखी रुद्राक्ष का संबंध केतु ग्रह से माना जाता है. यदि किसी की कुंडली में केतु अशुभ फल दे रहा हो या ग्रहण दोष बना रहा हो, तो यह रुद्राक्ष उसके नकारात्मक प्रभावों को कम करता है. यह केतु से जुड़ी समस्याओं, जैसे भय, भ्रम, अनहोनी की आशंका और मानसिक अस्थिरता को शांत करता है.  

 सुख-समृद्धि और सफलता के लिए : 

  • व्यक्ति को निर्भीक और आत्मनिर्भर बनाता है.  
  •  जीवन में सुख, शांति और सकारात्मकता लाता है.  
  •  क्रोध को नियंत्रित करता है और धैर्य बढ़ाता है.  
  •  करियर और व्यवसाय में सफलता पाने में मदद करता है.     
  •  धन, यश और मान-सम्मान प्राप्त करने में सहायक होता है.  

 कैसे करें नौ मुखी रुद्राक्ष धारण?  
नवरात्रि इसे धारण करने के लिए सबसे अच्छा समय होता है. इसे पहनने से पहले कुछ विशेष पूजा विधियां करनी चाहिए

  • शुद्धिकरण: रुद्राक्ष को गंगाजल से धोकर शुद्ध करें.   
  • पूजा करें: रुद्राक्ष पर चंदन लगाएं, ताजे फूल चढ़ाएं और गंगाजल छिड़कें.  
  • मंत्र जाप करें:  
       – “ॐ दुं दुर्गाय नमः” या  
       – “ॐ ह्रीं हूम नमः नव दुर्गाय नमः” (108 बार)  
  • धारण विधि: पूर्व, उत्तर या उत्तर-पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें और मंत्र जाप के बाद इसे पहनें.  

 रुद्राक्ष धारण करने के बाद ध्यान देने योग्य बातें  

  • इसे रोज़ पूजा करें और श्रद्धा से पहनें.  
  • टूटा हुआ रुद्राक्ष न पहनें.  
  • इसे किसी और को पहनने के लिए न दें.  
  • रुद्राक्ष पर साबुन या किसी रसायन का प्रयोग न करें.  
  • मांसाहार, शराब और धूम्रपान से दूर रहें.  
  • अंतिम संस्कार में जाने से पहले इसे उतार दें.  
  • सोते समय इसे पूजा स्थान पर रखें.  
  • धारण करने से पहले किसी अच्छे ज्योतिषी से सलाह लें.  

 असली नौ मुखी रुद्राक्ष कहां से प्राप्त करें?  
रुद्राक्ष का पूरा लाभ तभी मिलता है जब वह शुद्ध और सिद्ध हो. इसलिए इसे हमेशा किसी प्रमाणित और विश्वसनीय स्थान से ही खरीदें. साथ ही यह सुनिश्चित करें कि यह मंत्रों से अभिमंत्रित हो, ताकि इसके सकारात्मक प्रभाव बढ़ जाएं. आप इसे धारण करने के इच्छुक हैं, तो पहले किसी अनुभवी ज्योतिषी से परामर्श लेकर इसे अपनाएं, ताकि आपको अधिकतम लाभ मिल सके.

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

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