मस्क के DOGE से IT सेक्टर के छूटने लगे पसीने, क्या नए संकट की है आहट?

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Last Updated:March 22, 2025, 06:01 ISTElon Musk Doge Impact: एलन मस्क को डोज की कमान मिलने से भारतीय आईटी कंपनियों पर असर पड़ा है. एक्सेंचर की रिपोर्ट में आईटी कंपनियों की मांग में कमी और खर्च में गिरावट की बात कही गई है. वहीं कई विश्लेषक इसे बड़े …और पढ़ेंएलन मस्क का डोज अमेरिका सहित दुनियाभर में इन दिनों खलबली मचाए हैं. (फाइल फोटो-X)हाइलाइट्सएलन मस्क के कदमों से भारतीय आईटी कंपनियों पर असर पड़ा.आईटी कंपनियों की मांग और खर्च में गिरावट दर्ज की गई.आईटी इंडेक्स इस साल अब तक 15.3% गिर चुका है.एलन मस्क… यह नाम अमेरिका सहित दुनियाभर में इन दिनों खलबली मचाए हैं. डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका का दूसरी बार राष्ट्रपति बनने के बाद टेस्ला चीफ को डोज (DOGE) की कमान सौंपी. इस नए गठित विभाग का काम सरकारी कार्यप्रणाली में सुधार लाना और इसके खर्चों के कम करना है. हालांकि मस्क ने डोज पहल के तहत जो कदम उठाए हैं वह भारतीय आईटी कंपनियों के लिए टेंशन देने वाले साबित रहे हैं. वहीं कुछ विश्लेषक इसे आईटी सेक्टर में मंदी की आहट के तौर पर भी देख रहे हैं.

भारतीय आईटी कंपनियों के लिए यह साल पहले ही चुनौतीपूर्ण रहा है और अब विश्लेषकों का मानना है कि वित्तीय वर्ष 2026 में भी उद्योग को अपेक्षित सुधार नहीं मिल पाएगा. रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, आईटी दिग्गज एक्सेंचर की हालिया तिमाही रिपोर्ट ने मांग में कमजोरी और विवेकाधीन खर्च (discretionary spending) में गिरावट को उजागर किया है.

भारतीय आईटी इंडेक्स इस साल अब तक 15.3% गिर चुका है और जून 2022 के बाद यह इसकी सबसे खराब तिमाही साबित होने वाली है. प्रमुख आईटी कंपनियों टीसीएस, विप्रो, इन्फोसिस और एचसीएल टेक के शेयरों में 11.2% से 18.1% तक की गिरावट दर्ज की गई है.

एक्सेंचर बनी ‘टेक सेक्टर की पहली शिकार’आईटी सेवा क्षेत्र में वैश्विक दिग्गज और भारतीय आईटी उद्योग के संकेतक माने जाने वाले एक्सेंचर ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि क्लाइंट्स नए प्रोजेक्ट्स पर खर्च करने से बच रहे हैं और उनके बजट में कोई महत्वपूर्ण बढ़ोतरी नहीं हो रही है.

एक्सेंचर की सीईओ जूली स्पेलमैन स्वीट ने अमेरिकी प्रशासन की नीतियों को भी इस मंदी का एक कारण बताया. उन्होंने कहा, ‘संघीय क्षेत्र हमारी वैश्विक आय का लगभग 8% और अमेरिका की कुल आय का 16% हिस्सा बनाता है. नई सरकार दक्षता बढ़ाने के लिए सरकारी खर्च में कटौती कर रही है, जिससे नई परियोजनाओं की गति धीमी हो गई है.’

वैश्विक व्यापारिक तनाव से रिकवरी होगी और मुश्किलरिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी टैरिफ बढ़ने से व्यापारिक तनाव गहराया है, जिससे अमेरिकी बाजार में मंदी की आशंका बढ़ गई है. अमेरिका भारतीय आईटी कंपनियों का सबसे बड़ा बाजार है, और वहां की अनिश्चितता सीधे भारत के आईटी सेक्टर को प्रभावित कर रही है.

एचडीएफसी सिक्योरिटीज के डिप्टी वाइस प्रेसिडेंट अमित चंद्रा ने कहा, “पिछले दो महीनों में जो भी हुआ है, उसने वित्त वर्ष 2026 की पहली छमाही को लेकर और अधिक अनिश्चितता बढ़ा दी है. इससे आईटी क्षेत्र की रिकवरी और धीमी हो सकती है.”

जनरेटिव एआई भी बनेगा चुनौतीकोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के विश्लेषकों के अनुसार, वित्त वर्ष 2025 में बड़े सौदों की गति कमजोर रहेगी, जिससे फाइनेंशियल ईयर 2026 में आईटी कंपनियों को अतिरिक्त राजस्व में कमी का सामना करना पड़ सकता है. इसके अलावा, शुरुआती स्तर पर जनरेटिव एआई (Gen AI) की शुरुआत भी भारतीय आईटी कंपनियों के लिए चुनौती बन सकती है.

कौन से सेक्टर दिखा रहे रिकवरी के संकेत?हालांकि, बैंकिंग, वित्तीय सेवाएं और बीमा (BFSI) और हेल्थकेयर जैसे क्षेत्रों में रिकवरी के संकेत मिले थे, लेकिन हालिया अस्थिरता ने इन सेक्टरों में भी ग्राहकों को ‘वेट एंड वॉच’ मोड में डाल दिया है.

रिपोर्ट के मुताबिक, सिटी रिसर्च का अनुमान है कि कवर की गई आईटी कंपनियों की आय में वित्त वर्ष 2026 में 4% की वृद्धि हो सकती है, जो वित्त वर्ष 2025 के बराबर होगी. विश्लेषकों ने कहा कि भारतीय आईटी कंपनियों की वैश्विक मंदी में सीमित हिस्सेदारी है, लेकिन इस कारण अन्य क्षेत्रों में प्रतिस्पर्धा और अधिक बढ़ सकती है.
Location :New Delhi,DelhiFirst Published :March 22, 2025, 06:01 ISThomebusinessमस्क के DOGE से IT सेक्टर के छूटने लगे पसीने, क्या नए संकट की है आहट?

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